Bharatiya Brahm Gyan / भारतीय ब्रह्मज्ञान
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Description
संक्षिप्त विवरण
मेरा जन्म एक मसीही परिवार में हुआ। परन्तु 25 वर्ष की आयु तक यीशु से मेरा कोई व्यक्तिगत लगाव न था। सन् 1938 में जब मैं मुजफ्रफरपुर, बिहार में सरकारी कचहरी में राजकर्मी था, यीशु ने मुझे अपना बना लिया। एक दिन उनसे मेरा गहरा आन्तरिक साक्षात्कार हुआ और मेरा जीवन बदल गया। प्रभु मिल गये, लक्ष्य प्राप्त हुआ, नई दिशा मिली µ बस केवल जीवनमुक्त यात्र बाकी रह गयी। आयु 94 वर्ष की हुई, प्रभु की दया से।
नया जीवन पाने के 69 वर्ष बाद, सिंहावलोकन करते समय देखता हूँ कि जिसने मुझे अपना बना लिया उसने मुझे कभी धोखा नहीं दिया। इतना ही नहीं, मैं इसका कोई विकल्प भी नहीं पाता हूँ।
यदि परमात्मा ने मुझे नहीं सृजा; तो मैं जानता नहीं कि किसने मुझे सृजा।
यदि यीशु मेरी जीवन यात्र में मृत्यु के पार मुझे न लगाता तो मैं नहीं जानता कि कैसे जीते-जी इस कर्म-संसार को पार कर सकता।
यदि यीशु अपनी दावा अनुसार न हों जो शुभ संदेश में वह करते हैं: तो मैं नहीं जानता कि उन्होंने जो कुछ कहा और किया, वह कैसे हो पाया।
यदि यीशु अपने दावे और प्रतिज्ञाओं को पूरा न करें: तो मैं नहीं जानता, मैं और किस पर भरोसा करूँ।
यदि यीशु आज जीवित नहीं: तो मैं नहीं जानता कि कौन मुझे फिर जिलायेगा।
हर हालत में मैंने पाया है कि यीशु प्रभु जीवन के समस्त मूलभूत प्रश्नों के स्वयं उत्तर हैं और भारत में उनकी पहचान महान है।
धन्य हो प्रभु।।
Additional information
Author Name | |
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Binding Type | |
Publisher | |
Year Current Edition | |
ISBN 13 | 978-81-90733-25-0 |
No. of Pages | 40 |
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