William Carey / विलियम कैरी
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Description
संक्षिप्त विवरण:
विलियम केरी का जन्म 17 अगस्त 1767 में हुआ था। 14 वर्ष की आयु में ही केरी की शिक्षा पूर्ण हो गई अब उनके भविष्य के विषय में सोचना आवश्यक हो गया। जूतों का धन्धा सीखते हुए केरी अपने शिक्षक निकल्स के घर में निवास करते थे। अपनी अठारहवीं वर्षगाँठ के कुछ मास पूर्व ही उन्होंने समाज के सामने यीशु मसीह पर अपना विश्वास प्रगट किया। श्री केरी ने अपनी पत्नी और टाॅमस तथा अन्य चार सदस्यों के साथ 11 नवम्बर 1793 ई॰ के ‘क्रोन प्रिंसेस मारिया’ जलयान से यात्रा समाप्त कर भारत जलक्षेत्र में प्रवेश किया।
जनवरी 10 सन् 1800 ई॰ को केरी ने सेरामपुर में कदम रखा जहाँ उन्होंने ब्रिटिश मिशनरियों से भेंट की। जब वे फोर्ट विलियम विश्वविद्यालय में बंगला भाषा के शिक्षक बने उस समय बंगला भाषा में कोई भी गद्य साहित्य प्राप्त न था। केरी के संरक्षण में एक गुण-सम्पन्न बंगाली-रामबसु से “सागर द्वीप के अन्तिम राजा प्रतापदित्य का इतिहास” संचित किया। यह सन् 1801 में प्रकाशित बंगला भाषा की सर्वप्रथम मुद्रित गद्य रचना कही जा सकती है।
कृषि और उद्यान विद्या सम्बन्धी प्रयोगों का उत्थान करने की तीव्र लालसा से प्रेरित होकर केरी ने अप्रैल सन् 1820 ई॰ में कृषि और उद्यान विद्या सम्बन्धी संस्था का एक सूचना पत्र ‘शीर्षक पुस्तिका’ प्रकाशित की।
कई वर्षों से केरी सती-प्रथा का विरोध कर रहे थे। अन्त में केरी को इन प्रयासों का प्रतिफल प्राप्त हुआ। दिसम्बर सन् 1829 में सरकारी कानून ने सती-प्रथा को गैर-कानूनी घोषित कर दिया।
9 जून सन् 1834, सोमवार की दोपहर वे अपने स्वर्र्गीय पिता के घर चले गए और वहीं उनके जीवन का अन्त हुआ। दूसरे दिन प्रातःकाल बेप्टिस्ट मिशन की शमशान भूमि में उनकी अन्येष्टि क्रिया की गई। केरी की स्मृति-शिला पर जिस पर उनकी पत्नी की जन्म एवं मृत्यु तिथियाँ अंकित थीं- ये शब्द लिखे गए जिन्हें केरी ने स्वयं चुने थे- “मैं एक दुखी, दरिद्र, असहाय जीवाणु तेरी दयालु बाहों में गिरता हूँ।”
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